मंगलवार, 21 जुलाई 2015

मामला खेतों का है ...



रोज हंगामें में संसद,
 मामला खेतों का है ।
 पी गये है सारा दरिया,
 अब नजर रेतों पर है ।


 यह ठगों की मंडली,
 केवल तमाशा कर रही ।
 कोई ललितों का सिपाही,
 कोई कोलगेटों से है ।


 खेत में होरी बिचारा ,
 सोच कर हैरान है ।
 मुफलिसी चिर सहचरी,
क्या इतना मज़ा खेतों में है ?


 मुल्क की मेरे सियासत,
 क्या अच्छे दिन ले आई है ?
 बाप से ज्यादा अकल,
 मखमली बेटो में है ।


 दिल्ली
21 जुलाई 2015

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

स्वागत नववर्ष तुम्हारा हो.....




ब्लॉग पर आने वाले सभी मित्रो को नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं  !





बढ़ो क्षितिज तक 
चढो गगन पर 
सब मिले जो तुमको प्यारा हो ,
आगत नववर्ष तुम्हारा हो ,
स्वागत नववर्ष तुम्हारा हो।


खुशियों की खुशबू बनी रहे 
अरमानों के फूल खिले, 
हर तरफ सफलता हो तेरे 
सुख-समृद्धि की सौगात मिले ,
हर ख्वाब तुम्हारा सच होये 
जो अब तक तूने सँवारा हो,
आगत नववर्ष तुम्हारा हो,
स्वागत नववर्ष तुम्हारा हो।


वो सभी तुम्हारा बना रहे 
जो तुम्हें आज भी प्रिय हो 
यश-कीर्ति चतुर्दिक बढे तेरी 
सब विघ्न स्वतः शमित हो 
जीवन की सुन्दर बगिया में 
यह वर्ष सभी से न्यारा हो 
आगत नववर्ष तुम्हारा हो 
स्वागत नववर्ष तुम्हारा हो।





दिल्ली 

31 दिसम्बर 2012 




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रविवार, 19 जून 2011

बाबूजी




 फादर्स डे पर बाबूजी को प्रेषित ...........


सख्त नारियल से दिखते 
पर नरम गरी हो बाबूजी ,
तेरी कड़वी बातों का सच
जैसे मिश्री बाबूजी . 

ममता के आँचल  से बाहर 
एक संसार हो बाबूजी ,
तेरी डाटो को अब समझा 
एक कुम्हार हो बाबूजी .



जब भी ऊँचा चढ़ना होता 
तेरा कन्धा बाबूजी,
माँ की लोरी जब सो जाती 
तेरा कन्धा बाबूजी ,

सबको कपडे नए दिलाते 
हर उत्सव में  बाबूजी ,
वही पुरानी कोट पहन कर 
रोब दिखाते बाबूजी . 

दिनभर घर से बाहर रहकर 
घर को जीते बाबूजी ,
भागमभाग ,जोड़तोड़  कर 
घर को सीते बाबूजी .

नाना ,दादू ,ताऊ,बेटा 
सबमे बंटते बाबूजी ,
हमको अच्छी नींद सुलाते 
करवट लेते बाबूजी ,

घर की चक्की में चलते 
कभी न थकते बाबूजी 
दिन भर एक टट्टू के जैसे 
खटते रहते बाबूजी ,

अपने कष्टों को सह-सह  कर 
हंसते रहते बाबूजी ,
रोने का  कब वक्त मिला ?
कैसे रोते बाबूजी ??????


१९ जून २०११
दिल्ली 
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